डेरिवेटिव एक सबसे रोचक और पूर्ण विकसित ट्रेडिंग में से एक है जो शेयर बाजार में निवेश के लिए एक शानदार अवसर प्रदान करता है। विदेशों की तरह भारत में भी यह बाजार तेजी से बढ़ रहा है। डेरिवेटिव मार्केट पहली बार 2000 में पेश किया गया था, उस समय की तुलना में यह बहुत लोकप्रिय बन चुका है। सभी अकसर कैश ट्रेडिंग के तुलना में इसे अधिक पसंद करते है। वर्तमान में देखा जाए तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में डेरिवेटिव सेगमेंट में इसका दैनिक कारोबार करोड़ों में होता है।
सबसे पहला प्रश्न यह है की derivative in hindi क्या होता है।
यह आर्टिकल डेरिवेटिव, उसके प्रकार और लाभ, और Derivative market meaning in hindi के बारे में है।
डेरीवेटिव क्या होता है ?
डेरिवेटिव एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट (वित्तीय समझौता) है जो अपना मूल्य अंडरलाइंग एसेट से प्राप्त करते है। संपत्ति जैसे स्टॉक, बॉन्ड, मुद्राएं जो की इसमें अधिक इस्तेमाल होती है।
डेरिवेटिव को सबसे जटिल वित्तीय साधन माना जाता है क्योंकि इसमें कई तरह के जोखिम होते है। अगर इसे बिना समझे किया जाए तो नुकसान का सामना भी करना पर सकता है, लेकिन रोचक बात ये है की यह रिटर्न की संभावना भी बहुत अधिक है। अधिक जोखिम होने के बावजूद भी अधिक इनाम इसके लोकप्रिय होने का प्रमुख कारण बना।
वैसे तो, ट्रेडिंग के मामले में जोखिम बहुत ही आम बात है। अगर डेरिवेटिव की बात की जाए तो यह जोखिम या लाभ दोनो ही मामले में सबसे आगे है। ये तो सभी को पता है “अधिक जोखिम , अधिक लाभ”।
वास्तविक रूप में देखा जाए तो डेरिवेटिव सिर्फ जोखिम से भरा नहीं है। इसमें दोनो ट्रेडर्स और निवेशकों भविष्य के मूल्यों का आकलन करने के बाद किया जाता है।
पहले यह सुनिश्चित किया जाता की अस्थिर बाजारों में ज्यादा जोखिम न हो क्योंकि आप यह जानते है की स्टॉक्स का मूल्य बदलता रहता है इसीलिए इसमें ट्रेड करने के फायदा और नुकसान दोनो ही है। इसमें लाभ पाने का एक ही तरीका है सही अनुमान लगाकर की भविष्य में किसी स्टॉक का मूल्य बढ़ने वाला है या काम होने वाला।
यह ट्रेडिंग सिर्फ लॉन्ग टर्म ही नही शॉर्ट टर्म में भी लाभ कमाने का अवसर देता है।
यह या तो एक्सचेंज–ट्रेड्स होता है या फिर ट्रेड्स ओवर द काउंटर। इसकी लोकप्रियता कई गुना बढ़ गई है।
डेरीवेटिव के प्रकार
डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट चार प्रकार के होते है –
Forward Contract (फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट)
इस कॉन्ट्रैक्ट में धारक कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने के लिए बाध्य होते है। यह कॉन्ट्रैक्ट दो पक्षों के बीच होते है जिसमे खरीदार और विक्रेता दोनो ही शर्तो को बदल सकते है और दोनो पार्टियों में समझौता भविष्य में किसी निश्चित तिथि पर होता है। इस तरह के भविष्य के समझौते को ही फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट कहते है।
यह बिल्कुल ही फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की तरह होते है। लेकिन, स्टॉक एक्सचेंज में इनका कारोबार नही होता है।
Future Contract (फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट)
यह एक मानकीकृत कॉन्ट्रैक्ट है। इसमें दोनो पक्षों में से एक पूर्व निर्धारित मूल्य और समय के अनुरूप खरीदने या बेचने के लिए समझौता करता है। इसमें दोनो पक्षों के लिए शर्ते समान होती है। यह हमेशा लॉट में होता है और पहले से निश्चित तिथि के लिए होता है।
इसका कारोबार स्टॉक एक्सचेंज में होता है।
Swap Contract (स्वैप कॉन्ट्रैक्ट)
सारे डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट में स्वैप कॉन्ट्रैक्ट सबसे जटिल है। इसका कारण यह है की ये किसी भी एक्सचेंज द्वारा निर्धारित नहीं है और बिचौलिए के माध्यम से कारोबार करती हैं। यह दोनो पक्षों के बीच निजी तौर पे किए जाते है।
यह एक फॉर्मूले पे काम करती है जो की पूर्व निर्धारित होता है और इस फॉर्मूले के अनुसार कैश का आदान प्रदान किया जाता है।
Option Contract (ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट)
इसमें खरीददार किसी भी शर्त के लिए बाध्य नहीं होते है। उनके पास यह विकल्प होता है की वह सिक्योरिटीज को उनके पूर्व निर्धारित समय और मूल्य से पहले खरीद या बेच सकते है।
ऑप्शन अवधि की समाप्ति से पहले किसी भी समय ऑप्शन का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें निर्धारित मूल्य को स्ट्राइक मूल्य के रूप में जाना जाता है।
डेरीवेटिव ट्रेडिंग के लाभ
डेरिवेटिव ट्रेडिंग से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जाते है। इस ट्रेडिंग को एक प्रभावी तरीका माना जाता है। इस ट्रेडिंग के लाभ निम्नानुसार है:
हेजिग
हेजीग यानी की बचाव व्यवस्था सबसे अच्छा तरीका है डेरिवेटिव ट्रेडिंग का। इसका अर्थ यह है की कीमत के उतार–चढ़ाव के बावजूद भी ट्रेडर खुद की रक्षा कर सकते है।
लाइवरेज
लाइवरेज यानी मुनाफा। डेरिवेटिव ट्रेडिंग अपने निवेशक को यह अवसर देता है की वे पूरे कॉन्ट्रैक्ट में केवल छोटे मूल्यों को मार्जिन के रूप में भुगतान कर सके। इस कारण वे काम पूंजी लगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकता है।
आर्बिटेज
विभिन्न बाजारों में कीमत में काफी अंतर होता है तो इसी अंतर का लाभ उठाने के लिए डेरिवेटिव ट्रेडिंग किया जा सकता है।
इसमें एक बाजार जिसमे कीमत काम है उससे खरीद कर दूसरे बाजार में अधिक कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है।
निष्कर्ष
इस derivative meaning in hindi के लेख में आपको यह समझ आ गया होगा की डेरिवेटिव ट्रेडिंग में लाभ और नुकसान दोनो मौजूद है। इसमें काम पाने की कोई गारंटी नहीं होती है। इसीलिए हमेशा विचार करने की क्षमता और फाइनेंशियल कंडीशन को ध्यान में रखते हुए ही ट्रेडिंग करनी चाहिए।